महराजगंज। सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के जंगलों से लुप्त हो रहे संरक्षित वन्य जीव हिरनों पर तस्करों की नजर टेढ़ी हो चुकी है। ये केवल वन क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि वन क्षेत्र से सटे मैदानी इलाकों में भी काफी संख्या में देखे जा सकते है। इनके संरक्षण के लिए कानून बनने के बाद भी वन विभाग की ओर से कोई ठोस बंदोबस्त नहीं किया जा रहा है। यही कारण है, की तस्करों का वन क्षेत्रों में दखल बढ़ गया है। वही जिम्मेदारों की लापरवाही का फायदा उठाकर तस्कर हिरन की सींग को नेपाल पहुंचा रहे है। जहां पर तस्कर हिरन के सींग को महंगे दामों में बेच मोटी रकम कमा रहे है। बीते दिनों हिरन का सींग बरामद भी हुआ था जानकारी के मुताबिक सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के निचलौल, मधवलिया, चौक, लक्ष्मीपुर, पकड़ी शिवपुर सहित अन्य वन क्षेत्रों के घने जंगलों और मैदानी इलाकों सांभर और चीतल प्रजाति के हिरन पाए जाते हैं। हालांकि वन विभाग की ओर से की गई गणना में चीतल 2004 और सांभर 469 है। वही वन विभाग के जिम्मेदार अनुमान लगा उनकी संख्या को निर्धारित करने में जुटा रहता है। हाल ही में एक अगस्त को निचलौल थाना क्षेत्र के झुलनीपुर नहर पटरी मार्ग स्थित तेरह चार नहर पुल के पास से एक पिकअप में छिपाकर रखे हिरन का सींग और कछुआ बरामद हुआ था। वही मौके से एसएसबी टीम ने एक शख्स को भी गिरफ्तार कर लिया था। जिसे वन विभाग ने न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया था। इतना ही नहीं अभी पूरे प्रकरण की जांच पड़ताल चल रही रही है।प्रभारी डीएफओ आरसी मालिक ने कहा कि वन्य जीवों को सुरक्षित रखने और उनकी निगरानी के लिए वन कर्मियों की टीम लगातार वन क्षेत्रों में गस्त करती है। इतना ही संदिग्धों पर लगातार निगरानी रखती है। वन्य जीव अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को सात साल तक की सजा का प्रविधान है।
पहले भी बरामद हो चुकी है हिरन का सींग इसके पूर्व 4 जुलाई 2024 को भारत नेपाल बॉर्डर से सटे बरगदवा थाना क्षेत्र अंतर्गत बरगदवा गांव में एसएसबी, पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम ने एक घर पर छापा मारा था। इस दौरान टीम ने घर की तलाशी लेकर सांभर प्रजाति के हिरन का 7 सींग और 3 किलो गांजा बरामद किया था। जबकि मौके से एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया। टीम ने बरामद हिरन के सींग और गांजा को कब्जे में लेकर गिरफ्तार आरोपी को जेल भेज दिया था। जबकि मुख्य आरोपी मौके से भागने में सफल रहा था।
*अन्य दवा में सींग उपयोगी*
वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हिरन के सींग का प्रयोग शक्तिवर्धक दवा के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं छोटे बच्चों को खांसी जुकाम होने और पसलियां चलने पर भी सींग को घिसकर छाती पर लेप लगाया जाता हैं। इस लिहाज से भी हिरन के सींग का तस्करी भी की जाती है।
वन विभाग की ओर से मिली आंकड़ों के मुताबिक सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के वन रेंज क्षेत्र के जंगलों में तेंदुओं की संख्या 67 हैं। जबकि चीतल 2004, सांभर 469, नीलगाय 2494, जंगली सुअर 3803, बंदर 7586, लंगूर 4916, सियार 1285, जंगली बिल्ली 113, मगरमच्छ 166, काकड़ 416, खरगोश 573, वनगाय 680 की संख्या में मौजूद हैं।
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