महराजगंज। बिजली के निजीकरण के खिलाफ बुधवार को उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में व्यापक विरोध देखने को मिला। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर महराजगंज के बैकुंठवापुर स्थित पावर हाउस पर बिजलीकर्मियों ने एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल कर निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ लेकिन कर्मियों ने चेतावनी दी की यदि उत्पीड़न और निजीकरण की दिशा में कदम बढ़े, तो यह संघर्ष और तेज होगा।
हड़ताल में नियमित, संविदा, जूनियर इंजीनियर और अभियंताओं समेत प्रदेश भर में लगभग एक लाख बिजलीकर्मी कार्यस्थलों और कार्यालयों से बाहर निकलकर सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि निजीकरण से न सिर्फ बिजलीकर्मियों की सेवा सुरक्षा खतरे में है, बल्कि आम उपभोक्ताओं पर भी आर्थिक भार बढ़ेगा।
बिजलीकर्मियों को किसानों और उपभोक्ता संघों का भी समर्थन मिला है। संयुक्त किसान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि कर्मचारियों का उत्पीड़न नहीं रुका, तो वे भी सड़कों पर उतरेंगे। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हुए राज्य सरकार से निजीकरण का निर्णय वापस लेने की अपील की है।
सभा को संबोधित करते हुए ई. आशुतोष त्रिपाठी, ई. कृष्ण मुरारी शुक्ल, ई. नीरज दूबे, ई. राजीव नायक, ई. आशुतोष अग्रहरि, राकेश कुमार, उपेंद्र गुप्ता, मनीष प्रजापति, छेदी प्रसाद, सूरज चौधरी, चंदन दुबे और योगेश कुमार ने कहा कि अगर सरकार ने कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी की और निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रोकी, तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
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