निचलौल तहसील क्षेत्र ठूठीबारी के पंचमुखी शिव धाम इटहिया मंदिर में लगा भीड आज के दिन मुख्य तिथि तृतीय तिथी और चतुर्थया तिथि का मेल होने से महिलाओं ने हरितालिका तीज व्रत श्रद्धा और उत्साह से मनाया। सूर्योदय से पहले व्रतियों ने उपवास रखा और पूजा की। माता पार्वती ने सबसे पहले यह व्रत भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था। महिलाएं
अखंड सुहाग की कामना के लिए महिलाओं ने शुक्रवार को हरितालिका तीज व्रत श्रद्धा और उत्साह के साथ किया। सूर्योदय के पहले व्रती महिलाओं ने सरगही कर व्रत का संकल्प लिया। हस्ता नक्षत्र में सुहागिनों ने निर्जला उपवास कर दिनभर पूजापाठ की। बड़ी संख्या में सुहागिनों पहले पूजा की वहीं उदयातिथि को मानने वाली व्रती महिलाओं ने प्रदोष काल में इटहिया शिव मंदिर में पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा पर पूजा की। सुहागिनों ने प्रतिमा पर गंगाजल, अक्षत, चंदन, बेलपत्र, चढ़ाकर मां पार्वती व भगवान भोले की पूजा की। मां पार्वती ने किया था सबसे पहले तीज व्रत पंचमुखी इटहिया शिव मंदिर के पुजारी पंडित ध्यानचंद्र गिरी ने बताया कि तीज व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। मां के व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। मान्यता है कि यह व्रत त्रेता युग से पत्नी अपने पति के लंबी उम्र और सुख-संपत्ति, शांति के लिए करती आ रही है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि तीज व्रत उपवास सूर्योदय से सूर्योदय तक किया जाता है। व्रती महिलाएं शनिवार सुबह भगवान शिव-पार्वती की पूजा के साथ तीज व्रत संपन्न किया। पूजा प्रसाद लेकर व्रत का पारण करेंगी। पंडित ध्यानचंद्र गिरी ने बताया कि तृतीया तिथि में सूर्योदय शुक्रवार को होने के कारण व्रती महिलाओं ने तीज व्रत शुक्रवार को किया। वे बताते हैं कि तृतीया तिथि और चतुर्थी तिथि के मेल होना बड़ा शुभदायक है। भाद्रपद चतुर्थी तिथि को मिथिलांचल की महिलाएं चौरचन व्रत अपने बच्चों के दीर्घायु और संपत्तिशाली होने के लिए मनाया जाता हैं मंदिर में सह पुजारी मुन्ना गिरी अन्य लोग उपस्थित रहे
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